बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में 14 साल की किशोरी को अनचाहे गर्भधारण से छुटकारा दिलाते हुए गर्भपात कराने की अनुमति दी है। कोर्ट ने सिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा गर्भपात कराने व पूरी सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान बेटी की सुरक्षा का पूरा-पूरा ख्याल रखने सिम्स प्रबंधन को कहा गया है। आदेश से पूर्व हाई कोर्ट ने सिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों से स्वास्थ्य परीक्षण कर गर्भपात कराने या न कराने के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। चिकित्सकों की टीम ने 27 सप्ताह के गर्भ को गिराने की सहमति दी। चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने गर्भपात का आदेश जारी कर दिया है।
14 साल की किशोरी को रिश्तेदार ने प्रेमजाल में फंसा लिया था। शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करता रहा। लगातार दैहिक शोषण के चलते किशोरी गर्भवती हो गई। बेटी ने अपनी मां को रिश्तेदार युवक द्वारा दुष्कर्म करने की बात बताई। स्वजन की रिपोर्ट और चिकित्सकीय जांच के बाद पुलिस ने आरोपित युवक के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है। युवक के जेल जाने के बाद भी दुष्कर्म की शिकार किशोरी को अनचाहे गर्भ से अब तक छुटकारा नहीं मिल पाया है। लिहाजा पीडि़ता की मां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बेटी को अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाने गर्भपात की अनुमति की गुहार लगाई है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उसकी बेटी 14 वर्ष की है। रिश्तेदार युवक प्रेमजाल में फंसाकर दुष्कर्म करता रहा। वह गर्भवती हो गई है। 27 सप्ताह का गर्भावस्था में है। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की एकलपीठ में हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस कोशी ने सिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर चिकित्सकीय परीक्षण करने और यह रिपोर्ट देने कहा था। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कोर्ट को बताया कि 27 सप्ताह के गर्भ को गिराया जा सकता है। रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने पीडि़ता का गर्भपात कराने के निर्देश दिए हंै। सिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की मौजूदगी में पीडि़ता का गर्भपात कराया जाएगा।