नवोदित कंपनी के संबंध में ‘स्टार्टअप शब्द का प्रयोग पहली बार 1976 में फोब्र्स पत्रिका द्वारा किया गया। स्टार्टअप में फंडिंग से लेकर निवेशकर्ता लाना, संसाधनों का प्रबंधन व किसी उत्पाद के उत्पादन के लिए उत्पादक को राज़ी करना आदि सीईओ के जि़म्मे होता है। भारत में स्टार्टप के चलन से जो क्रांति हुई है, उसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि अब कोई भी व्यवसाय छोटा नहीं रहा है। किसी नवाचार के साथ चाय बेचना, टोकरियां बनाना, बुनाई करना आदि सब कार्य अब स्टार्टअप की श्रेणी में स्थान पा चुके हैं। युवाओं में स्टार्टअप का जुनून तो दिनों-दिन बढ़ ही रहा है लेकिन स्टार्टअप शुरू करने से पहले तैयारी में कोई कमी नहीं होना चाहिए। यहां हम कुछ सुझाव पेश कर रहे हैं।
विचार हो सबसे जुदा
स्टार्टअप करना चाहते हैं तो शुरुआत एक विचार से होगी। ऐसा आइडिया जिससे कुछ बेहतरीन हो सकता है, उसे दो तरीक़े से सोचा जा सकता है। पहली बात, आपका विचार कुछ अलग और दमदार हो। उसके लिए आपको किसी समस्या की पहचान करनी होगी। आइडिया अगर ऐसा हो जिस पर पहले काम नहीं किया गया या जो किसी समस्या को सुलझा सकता है, तो ऐसे आइडिया को आसानी से स्टार्टअप में बदला जा सकता है। कुछ ऐसे विचारों को लेकर भी स्टार्टअप किया जा सकता है जो पहले से ही मार्केट में हैं। ऐसी स्थिति में आपका काम करने का तरीक़ा बाकिय़ों से कितना अलग है, स्टार्टअप की सफलता उस पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर बाज़ार में कई प्रकार के सौंदर्य उत्पाद हैं, लेकिन चुनाव उन्हीं का किया जाता है जो कुछ अलग दे रहे हैं।
स्टार्टअप मॉडल तैयार करें
योजना के बिना सफलता मिलने की उम्मीद कम हो जाती है। किसी भी विचार से जुड़ा महत्वपूर्ण शोध करने के बाद संबंधित सारी जानकारी को लिखना ज़रूरी है। इसी के ठीक बाद बनता है स्टार्टअप मॉडल। स्टार्टअप मॉडल में बुनियादी तौर पर ये तय किया जाता है कि बिजनेस को किस तरह से आगे बढ़ाना है।
एक अच्छे स्टार्टअप मॉडल में सेवाएं कौन-कौन-सी देंगे, किस क्षेत्र में काम रहेगा, टारगेट ऑडियंस कौन होगी, रणनीति क्या रहेगी, कितने लोगों की टीम होगी आदि बातें शामिल होती हैं। एक अच्छा स्टार्टअप मॉडल छोटा, कट-टू-कट और समझने में आसान होना चाहिए। अगर ये चार्ट के रूप में भी हो, तो और बेहतर होगा।
नाम में बहुत कुछ रखा है
स्टार्टअप के नाम पर विशेष ध्यान दें। स्टार्टअप का नाम सोच-विचार के बाद रखें, क्योंकि वही आगे चलकर आपका ब्रांड बनेगा। यदि आप अपने स्टार्टअप का भविष्य एक ब्रांड के रूप में देखते हैं तो नाम छोटा, आसान, अलग और आकर्षक रखें।
निवेश के पूर्व की तैयारी
स्टार्टअप मॉडल पर जब काम करने की बारी आती है तब पहला सवाल फंड का होता है। औसत निवेश कितना करना है उसके बारे में शोध करें। कितने संसाधन लगेंगे, कितना ख़र्चा होगा, ऋण लेना है या नहीं आदि बातों को ध्यान में रखकर शोध करें और अंदाजऩ ख़र्च निकालें। कोई भी निवेश अंधाधुंध नहीं होना चाहिए। पहले वहां निवेश करें जहां ज़रूरी है।
को-फाउंडर की तलाश
यदि स्टार्टअप की यात्रा में आपको किसी पार्टनर की तलाश है तो ऐसे को-फाउंडर का चुनाव करें, जो आपके स्टार्टअप को उतनी ही दिलचस्पी के साथ समझे जितना की आप समझते हैं। को-फाउंडर की समझ और प्रवृति ऐसी होनी चाहिए, जिससे स्टार्टअप में लाभ हो। ये प्रयास न सिफऱ् स्टार्टअप की पूर्णता को बल्कि स्टार्टअप की कमियों को समझने का भी हो। इसके अलावा असफलता का सामना करने, सीखने और अपडेट रहने के गुण भी को-फाउंडर में होना ज़रूरी हैं।
शोध से जानें कमियां…
स्टार्टअप से जुड़े हुए सारे सवालों के जवाब सिफऱ् शोध से ही मिल सकते हैं। पता लगाएं कि किसी उत्पाद के निर्माता या सेवा प्रदत्ता के रूप में आप कुछ नया शुरू कर रहे हैं तो उस क्षेत्र में अन्य कंपनियां क्या सेवाएं दे रही हैं, उनके स्टार्टअप में कौन-सी अच्छाइयां हैं जो आपके अपने विचार में फिलवक्त नहीं है। अगर कमियां हैं तो कौन-सी हैं, आप उन कमियों को किस विकल्प से सुधार सकते हैं। इससे आप नई रणनीति बना सकेंगे। इसके अलावा सामने मौजूद चुनौतियों के बारे में भी जानकारी मिलेंगी।