हादसों के लिहाज से संवेदनशील बना हुआ है दुर्ग जिला
भिलाई। दुर्ग जिले में सड़क हादसों पर अंकुश लगने का नाम नहीं ले रहा है। बीते छह महीने के भीतर जिले में सड़क हादसे के चलते 152 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस आंकड़े के आधार पर यह माना जा सकता है कि सड़क हादसों के लिहाज से दुर्ग जिला अभी भी संवेदनशील बना हुआ है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यातायात नियमों की अनदेखी जनहित पर भारी पड़ रही है।
वाहन चलाने के दौरान जरा सी लापरवाही हादसे को अंजाम देकर परिवार को सदमा दे जाती है। पूरा परिवार जिंदगी भर समय से पहले अपनों से जुदा होने की टीस झेलने को मजबूर हो जाता है। वाहनों की गति पर नियंत्रण ना होने के कारण जिले में हर दूसरे दिन एक न एक की मौत हादसों में होती है। वहीं हजारों लोग रोजाना किसी न किसी वजह से हादसों का शिकार होकर दिव्यांग बन जिंदगी भर खुद को अपनी गलती के लिए कोसते रहते हैं। इसी साल जनवरी से जून तक 152 लोगों की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है।
जिले में अनियंत्रित वाहन को रोकने या गति निर्धारित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। वाहन चालकों में भी यातायात नियमों के पालन को लेकर खास गंभीरता नजर नहीं आती। तड़के या फिर शाम होते ही वाहन चालक किसी ना किसी गाड़ी से टकराकर मौत को गले लगा लेते हैं। कहने के लिए चौक चौराहों पर पुलिस ने अवरोधक लगाए है। लेकिन वहां वाहनों की गति पर नजर रखने वाला कोई नहीं है। इसके अतिरिक्त यातायात नियमों की अनदेखी जैसे दुपहिया वाहन पर तीन सवारी, बिना हेलमेट दुपहिया वाहन चलाना, ओवरटेक करना सड़क हादसे का कारण बन रहा है। इस साल मात्र 6 माह में 587 दुर्घटना में 518 लोग घायल हुए है और 152 लोगों की जान चली गयी है।
तीन सवारी घूमने से परहेज नहीं
सड़कों पर दुपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट पहने धड़ल्ले से आवाजाही कर रहे हैं। प्रमुख चौराहे हो या गलियां नशे की हालत में वाहन पर तीन या चार सवारियां बैठाकर घूमने से परहेज नहीं करते। पुलिस से बचने के लिए कई वाहन चालक हेलमेट लेकर जरूर चलते हैं, लेकिन यातायात पुलिस की तैनाती वाले चौक चौराहे के नजदीक पहुंचते ही हेलमेट को अपने सिर पर चढ़ा लेते हैं। आगे निकलने के बाद हेलमेट फिर से वाहन के हैंडल पर टंग जाता है।
बेपरवाह ड्राइविंग बन रहा जानलेवा
आंकड़ों के मुताबिक ज्यादा सड़क हादसे की वजह गलत और बेपरवाह ड्राइविंग होती है। फोरलेन सड़क पर चार जगहों में फ्लाईओवर निर्माण कार्य चालू रहने से हादसे का खतरा बना हुआ है। बावजूद इसके ओवर स्पीड, सिग्नल और साइन बोर्ड की अनदेखी, वाहन चलाते सेल फोन पर बात और नशा आदि के कारण शहर में सड़क हादसों में प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जान जाती है। इसमें ज्यादातर 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के लोग हादसों के शिकार होते हैं।