-दीपक रंजन दास
वक्त के साथ शब्द के अर्थ भी बदल जाते हैं। जो शब्द कभी गाली हुआ करते थे आज दोस्तों के बीच व्यवहार है। इसी तरह गोबर से बनी लोकोक्तियां और मुहावरे भी अब चुभते नहीं बल्कि कुछ मामलों में तो इनके अर्थ उलट हो गए हैं। 30-40 साल पहले तक गोबर पढऩे-लिखने में कमजोर बच्चों का आभूषण हुआ करता था। घर में बाप तो स्कूल में गुरुजी कहते थे – इसके तो दिमाग में गोबर भरा है। गुरुजी गोबर की महिमा से अनजान थे। उन्हें नहीं पता था कि गोबर एक ऐसा ऑलराउंडर है जो गुरुजी टाइप को तो कभी भी पटखनी दे सकता है। गोबर का पौराणिक इतिहास टटोलें तो इसमें धन-संपदा-ऐश्वर्य की देवी श्रीलक्ष्मीजी का वास है। भारतीय परम्पराएं कभी भी निरर्थक नहीं रही हैं। जिन्होंने भी नियम बनाए, बहुत सोच समझकर बनाए। हमारे ऋषि मुनि मल्टीपर्पज गोबर के सभी गुणों से वाकिफ थे। गोबर में कीट रोधी गुण पाए जाते हैं इसलिए घर आंगन को लीपने के लिए गाय के गोबर को रेकमेण्ड किया गया। सदियों तक लोग अपने घर-आंगन से लेकर रसोई तक को गोबर से लीपते रहे। घर में लक्ष्मीजी का वास बना रहा। गोबर एक अच्छा बाइंडर भी है। इसलिए मिट्टी की दीवारों को गोबर से लीप देने पर वह सीलन से बची रहती हैं। चूल्हा-चौका में गोबर ईंधन भी है। गोबर लड्डू, उपला, गोबर काष्ठ से चलकर गोबर गैस तक इसके कई स्वरूप हैं। खेत में पड़ जाए तो गोबर सबसे बढिय़ा खाद भी है। पर दिमाग में गोबर का मतलब हमेशा उलटा ही समझ में आया। वह तो छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने इसका सही अर्थ लोगों को समझा दिया। गोबर को दिमाग में रखकर उन्होंने ऐसी योजना बनाई कि थिंक टैंक वाली पार्टियों ने भी दांतों तले उंगलियां दबा लीं। वो गौमाता-गौमाता रटते रह गए और यहां गाय कामधेनु हो गई। गोबर ने ऐसे-ऐसे कारनामे कर दिखाए कि अंग्रेजी नाम वाले स्टार्टअप भी फेल खा गए। बिना किसी अतिरिक्त निवेश के किसानों ने गोबर से लाखों रुपए कमाए। इस कमाई को स्वीकृति मिली छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ में। यहां श्याम कुमार जायसवाल ने 2 लाख किलो गोबर बेचकर 4 लाख रुपए कमा लिए। 4 लाख की अतिरिक्त आमदनी किसी पैकेज से कम नहीं होती। न डिग्री लगे न आठ घंटे की चाकरी और रंग चोखा आए। पेशे से नर्स अंजू के पिता को श्यामकुमार की सोच ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने बेटी का हाथ उसे सौंप दिया। सही है – जो व्यक्ति गोबर से लाखों की कमाई कर सकता है, वो चाहे तो क्या नहीं कर सकता? अब हम गर्व से कह सकते हैं – हां! मेरे दिमाग में गोबर भरा है।
गुस्ताखी माफ: दिमाग में गोबर भरा होना अब अच्छा है




