कई सालों बाद टीवी की दुनिया में कॉमेडी चैंपियन ढूंढने वाले शो की वापसी हो रही है। कपिल शर्मा, भारती सिंह, सुनील पाल, एहसान कुरैशी जैसे कई कॉमेडियन इसी टैलेंट रियलिटी शो से मशहूर हुए हैं। सोनी चैनल पर कपिल शर्मा के शो की जगह पर अब कॉमेडी चैंपियन को ढूंढने नया शो ‘इंडियाज लाफ्टर चैंपियनÓ आ रहा है, जिसकी शुरुआत 11 जून से हर शनिवार रविवार रात 8:30 से होगी। इस शो को शेखर सुमन और अर्चना पूरन सिंह जज कर रहे हैं। और शो की मेजबानी रोचेले राव कर रही हैं। शो की लांचिंग के दौरान इस शो में भाग ले रहे मुंबई के नितेश शेट्टी, प्रयागराज के राधेश्याम भारती, उज्जैन के हिमांशु भवंदर और मुंबई के बॉलीवुड बॉयज गौरव और केतन ने अपने चुटकुलों से लोगों का खूब मनोरंजन किया।
इस शो के लांचिंग के अवसर पर शेखर सुमन ने कहा, इस शो को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। यह एक ऐसा शो है जिसका उद्देश्य सारे गमों को भुलाकर हंसाना है। लोगों ने हंसाना छोड़ दिया है, लेकिन जिस चीज की कमी होती है। जब वह वापस आती है तो बहुत खुशी होती है। पिछले दो सालो से हम खुशियां भूल चुके थे। अब इंडियाज लाफ्टर चैंपियन के रूप में खुशियां फिर से आ रही है। जिंदगी की भाग दौड़ में हम खुश रहना भूल गए हैं। हमारे पास पैसा,गाड़ी बंगला सब कुछ है, लेकिन खुशी नहीं है।

अर्चना पूरन सिंह के बारे में शेखर सुमन ने कहा, ‘अर्चना पूरन सिंह का नाम तो गिनीज बुक में दर्ज होना चाहिए। एक ही जगह बैठकर कर लोगों को हंसा रही हैं, नया शो आता है, नए सेट बनते हैं, लेकिन अर्चना की कुर्सी नहीं बदलती है। उनको कहीं काम मांगने भी नहीं जाना पड़ता है, लोग खुद उनके पास चलकर आते हैं। वह बहुत ही जिंदादिल इंसान है, वह दूसरों को हंसाती हैं और अपने खुद के लिए भी हंसती हैं। हम लोग सेल्समैन हैं, घर घर जाकर खुशियां बेचते हैं। कोरोना को खुशी से डर लगता है, वह हमें दुख देने आया था। अब खुशी वापस आ गई है, अब कोरोना आएगा भी तो हमारी खुशियों से डर के भाग जाएगा।

अर्चना पूरन सिंह ने कहा, हमे तो हर हाल में हंसना पड़ता है। लेकिन हमारे हंसी के पीछे कभी कभी दर्द भी बहुत होता है, जो लोगों को नजर नहीं आता। वो कहते हैं न, शो मस्ट गो ऑन। कभी-कभी मजबूरी में भी आपको हंसना पड़ता है। यही तो कलाकार का जीवन है। आज भी उस घटना को जब याद करती हूं, तो मेरे आंखों में आंसू आ जाते हैं। जब मैं कॉमेडी सर्कस की शूटिंग कर रही थी, तब मेरी सासु मां बहुत बीमार थीं। उनका अंबानी अस्पताल में इलाज चल रहा था और मुझे शूटिंग पर जाना था। मैं शूटिंग पर गई और शाम तकरीबन शाम छह बजे मालूम पड़ा कि उनका देहांत हो गया। मैंने शूटिंग वालों को बोला कि मुझे तुरंत जाना होगा। मेरी मदर इन लॉ का देहांत हो गया है। उन्होंने कहा, मैम! आप 15 मिनट में फटाफट अपना रिएक्शन देकर जा सकती हैं। मेरे सारे रिएक्शन हंसने वाले होते थे। पंच, बड़ा पंच, छोटा पंच, छोटा लाफ्टर, मीडियम लाफ्टर, बड़ा लाफ्टर, ऐसा करके मैंने 15 मिनिट की शूटिंग की। उस वक्त जोर-जोर से हंस रही थी, जबकि मुझे अंदर से फूट-फूटकर रोना आ रहा था, पर रो भी नहीं सकती थी। मुझे सबसे ज्यादा मुश्किल समय यही लगा। लेकिन वह मेरी मजबूरी थी, भगवान ऐसी सिचुएशन में किसी को न डालें।
अर्चना पूरन सिंह की बात सुनकर शेखर सुमन भी खुद को नहीं रोक पाए। उन्होंने कहा, ‘लोग हमारी हंसी देखते हैं, लेकिन हमारे पीछे के दुख को नहीं देखते। या देखते भी हैं तो उसे समझने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि यहां किसी को किसी के बारे में सोचने समझने का समय नहीं है। लोग दूसरे के दुख को बांटने की कोशिश नहीं करते। मेरे बड़े बेटे आयुष को एंडोकार्डियल फाइब्रोएलस्टोस नाम की रेयर हार्ट की बीमारी थी, जिसके कारण उसकी 11 साल की उम्र में मौत हो गई। उसकी मौत से मैं टूट गया था, उस सदमे से उबरने में मुझे काफी वक्त लगा, धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आई। अब मैं कोशिश करता हूं कि ढेर सारी खुशियां बटोर कर लोगों में बांट दूं।