भिलाई। जिला कांग्रेस अध्यक्ष तुलसी साहू का मानना है कि हालांकि लगभग सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई है, तथापि जब बात फैसले की आती है तो उसकी आवाज दबा दी जाती है। घर गृहस्थी के मामले हों, शादी ब्याह का अवसर हो या फिर जनप्रतिनिधित्व का मामला, वह मालकिन होकर भी नहीं है। घर के पुरुष सदस्य उसे अपना फैसला सुना देते हैं। गृहस्थी चलानी हो तो सुनकर चुप रहो। विरोध किया तो पिटाई भी हो सकती है और परित्याग भी।
तुलसी साहू अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर श्रीकंचनपथ से चर्चा कर रही थीं। उन्होंने कहा कि आज महिलाओं ने प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की है। पहले जहां वो केवल टीचर या नर्स होती थी वहीं अब प्रिंसिपल, वैज्ञानिक, डॉक्टर, पुलिस, सैनिक, पायलट, व्यापारी, उद्यमी कुछ भी हो सकती है। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में उन्होंने पुरुषों को न केवल बराबर की टक्कर दी है बल्कि कई क्षेत्रों में उनसे आगे निकल गई हैं। वह पार्षद, महापौर, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी होती है पर बावजूद इसके घर परिवार और समाज के मामले में उसके पक्ष को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पार्षद पति, विधायक पति, सांसद पतियों का बोलबाला है।
तुलसी का मानना है कि राजनीतिक नेतृत्व का मौका उसे ही दिया जाना जो स्वतंत्र रूप से लोगों का प्रतिनिधित्व कर सके। घर, परिवार और समाज में स्त्रियों को ही सर्वाधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। निश्चित तौर पर उनके पास इसका हल भी होगा। पर यह हल तभी सामने आएगा जब वो स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख पाएगी। यदि पिता, पुत्र, भाई और पति उसपर घर के भीतर और घर के बाहर भी हावी रहेंगे तो उसका सशक्तिकरण अधूरा ही रह जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समझी महिलाओं की स्थिति
तुलसी साहू कहती हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। उन्हें न केवल मौलिक समस्याओं का अंदाजा है बल्कि उनके पास इन समस्याओं का हल भी है। वो जानते हैं कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिये बिना उनकी सशक्तिकरण संभव नहीं है। उनके घर के आसपास ही उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करनी होगी। मध्यान्ह भोजन योजना, नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी से लेकर गोठान और गोधन न्याय योजना जैसी योजनाओं ने इसका मार्ग प्रशस्त किया है। अब वे खेतिहर मजदूर होने के साथ साथ स्वतंत्र रूप से खेती किसानी और बागवानी कर रही हैं। महिला स्व सहायता समूह एक बार फिर सक्रियता से काम करने लगे हैं। कई स्थानों पर महिला समूहों को नशेडिय़ों और जुआडिय़ों को सही रास्ते पर लाने में सफलता मिली है।
छत्तीसगढ़ अब काफी आगे
जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं की स्थिति देश के अन्य हिस्सों से काफी अच्छी है। ग्रामीण संस्कृति में काफी खुलापन है। स्त्री पुरुष लगभग सभी कार्यों में मिलजुलकर हिस्सा लेते हैं। वैवाहिक संबंधों के मामले में भी छत्तीसगढ़ की महिलाएं बेहतर स्थिति में हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही यहां मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम हुई है। पर इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। घरेलू कार्यों में व्यस्त रहने वाली महिलाएं पहले अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह होती थीं पर मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत चलने वाली मोबाइल मेडिकल यूनिट ने इस समस्या का समाधान कर दिया है। महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं अब अपने घर के पास मिलने लगी हैं।
जनप्रतिनिधत्व में समानता जरूरी
तुलसी साहू ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व में समानता का भाव जरूरी है। स्त्री हो या पुरुष वही सामने आए जिसमें जनता की समस्याओं से जूझने का माद्दा हो। पति जुझारू नेता है पर वार्ड स्त्री के लिए आरक्षित हो गया है। बजाय इसके कि नया नेतृत्व सामने आए, पार्षद की पत्नी चुनाव मैदान में उतर जाती है। इस तरह से आरक्षण बेअसर हो जाता है। दूसरी ओर काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है। ऊपर से नीचे तक यदि परिवारवाद को ही हावी होना है तो एक न एक दिन कार्यकर्ताओं के नाम पर केवल स्वार्थी तत्व ही राजनीति में सक्रिय रह जाएंगे। पर परिस्थितियां बदल रही हैं और उम्मीद है कि जागरूकता में इजाफा होने के साथ ही राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में भी परिवर्तन आएगा।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई की अध्यक्षा श्रीमती तुलसी साहू ने कहा- पार्षद पति, विधायक पति के रहते महिला सशक्तिकरण अधूरा




