नई दिल्ली। देश के आठ समुद्री बीच (तट) स्वच्छता का सर्वोच्च मानक कहे जाने वाले प्रतिष्ठित ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन के मानकों पर खरा उतरे हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने रविवार को इन सभी बीच को ब्लू फ्लैग मिलने की घोषणा की। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन 50 देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास ब्लू फ्लैग दर्जे वाले स्वच्छ समुद्री तट मौजूद हैं। साथ ही भारत को तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ‘इंटरनेशनल बेस्ट प्रैक्टिस’ के तहत तीसरे पुरस्कार के लिए भी चुना गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दावा किया है कि भारत एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में महज 2 साल के अंदर ब्लू फ्लैग दर्जा हासिल करने वाला पहला देश भी बन गया है।
ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन डेनमार्क का ‘फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन’ करता है। इसे वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त ईको-लेबल में से एक माना जाता है। साल 2018 में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश के 13 समुद्री तटों को ब्लू फ्लैग के लिए चिह्नित किया था। इनमें से फिलहाल 8 के नाम 18 सितंबर को भेजे गए थे, जिन्हें मानकों पर पूरी तरह खरा पाया गया।पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक देश के पांच राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में फैले इन आठ समुद्री तटों को एक इंटरनेशनल ज्यूरी ने ब्लू फ्लैग के लिए चुना है। भारत ब्लू फ्लैग दर्जे वाले समुद्री तटों वाला एशिया का चौथा देश बन गया है। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, एशिया में अब तक महज जापान, दक्षिण कोरिया और यूएई के तट ही इस सूची में मौजूद थे, लेकिन इन देशों को यह दर्जा पाने में 5 से 6 साल का समय लगा था। इस समय ब्लू फ्लैग सूची में स्पेन पास दुनिया में सबसे ज्यादा 566 समुद्र तट हैं, जबकि ग्रीस के 515 और फ्रांस के 395 तटों को यह दर्जा मिला हुआ है।
इन भारतीय तटों को मिला ब्लू फ्लैग
शिवराजपुर बीच (गुजरात), गोल्डन बीच (ओडिशा), घोघाला बीच (दीव), पादुबिदरी बीच और कासरकोड बीच (कर्नाटक), कप्पड़ बीच (केरल), रुशिकोंडा बीच (आंध्र प्रदेश) और राधानगर बीच (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)।
यह हैं मानक और यह होगा लाभ
किसी भी समुद्री तट ब्लू फ्लैग देने के लिए 33 मानक तैयार किए गए हैं। इनमें पर्यावरणीय शिक्षा और जानकारी, पानी की गुणवत्ता, पर्यावरण प्रबंधन व संरक्षण तथा सुरक्षा के साथ ही अपशिष्ट निस्तारण, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा और पालतू जानवरों पर प्रतिबंध जैसे कुछ मानक प्रमुख हैं। ब्लू फ्लैग दर्जा पाने के लिए नामों की सिफारिश एक स्वतंत्र राष्ट्रीय ज्यूरी करती है, जिसमें प्रमुख पर्यावरणविद और वैज्ञानिक शामिल होते हैं। ब्लू फ्लैग दर्जा पाने वाले समुद्र तटों को दुनिया के सबसे स्वच्छ बीच में से एक माना जाता है। ऐसे में इन तटों पर पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। खासतौर पर विदेशी पर्यटक किसी भी समुद्र तट पर जाने से पहले सामान्य तौर पर इस मानक को परखते हैं।
दो साल में भारत को मिले आठ ‘ब्लू फ्लैग’ … यह उपलब्धि पाने वाला एशिया का चौथा देश बना भारत




