लंदन। दिन में सोने से शरीर को आराम मिलता है, मगर एक अध्ययन में विशेषज्ञों का कुछ अलग ही कहना है। इससे मस्तिष्क मनगढ़ंत यादों में उलझने लगता है। लैंकास्टर यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन में कहा गया है कि दिन में एक घंटा और 45 मिनट की नींद अनुभवों को भुला सकती है। हालांकि सोने से हमारी यादें गहरी होती हैं, मगर इससे हमारे मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में कैद अनुभव खोने लगते हैं। सोने से हमारे मस्तिष्क को पूरे दिन एकत्र हुई सूचनाओं के अंबार से आजादी मिलती है और गैर जरूरी चीजों को हटा देता है। यह नई सूचनाओं, यादों और अनुभवों के लिए जगह बनाने की एक प्रक्रिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिन में सोना मस्तिष्क के लिए उलटा असर करता है। इससे हम अनुभवों से जुड़ी यादें खोने लगते हैं और ऐसी बातें हमारे जहन में बैठ जाती हैं, जो असल में होती ही नहीं हैं।
अनजाना डर सताने लगता है। रात में ज्यादा सोने से भी ऐसा असर दिमाग पर होता है। शोध के सह लेखक और यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी विभाग में पीएचडी स्टूडेंट जॉन शॉ का कहना है कि इस अध्ययन से पता चलता है कि दिमाग में सूचनाओं की स्थिति बदलती रहती है। मगर यह स्थिति डराने वाली भी है। हम यह जानते हैं कि दिमाग के दाहिने हिस्से में बाएं के मुकाबले आभासी यादें अधिक रहती हैं। दिन में सोने पर दाहिने हिस्सा अधिक प्रभावित होता है। यही वजह है कि इस हिस्से में मौजूद सूचनों की स्थिति में अधिक बदलाव होता है।