सक्ति। पिछले दिनों जिले में एक फर्जी एसबीआई बैंक खुलने का मामला सामने आया था। शातिर ने न सिर्फ बैंक खोला बल्कि यहां लोगों को नौकरी पर भी रखा और इसके एवज में भारी भरकम रकम भी ली। फर्जी एसबीआई बैंक का मामला सामने आने के बाद उसे बंद कराया गया। अब इस पूरे कांड का मास्टर माइंड पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पुलिस ने इस मामले में सारंगढ़ बिलाईगढ़ निवासी अनिल भास्कर को गिरफ्तार किया है।
बता दें जिले के ग्राम छपोरा में 27 सितंबर को एसबीआई बैंक का फर्जी शाखा होने की सूचना पर पुलिस ने बैंक अधिकारियों की उपस्थिति में बैंक में छापा मारा गया था। जिसमे 6 कर्मचारी मौके पर काम के लिए पहुंचे हुए थे। इन लोगों ने बताया कि अनिल भास्कर नाम के शख्स ने एसबीआई बैंक में नौकरी लगने के नाम पर पैसा लेकर ट्रेनिंग में भेजा गया था। जांच पड़ताल के बाद बैंक फर्जी होने पर मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में पुलिस को मास्टर माइंड अनिल भास्कर की तलाश थी।
जब मामले की जांच शुरू हुई तो इस दौरान अनिल भास्कर को उसके निवास स्थान ग्राम दुम्हनी थाना बिलाईगढ़ में अपने घर में होने की सूचना पर टीम पहुंची और पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में उसने बताया कि लोगो से ठगी किए रकम में से कुल रकम 6,60,000 रुपए अलग-अलग यूपीआई आईडी से प्राप्त करना, जिस रकम से अपने नाम पर सेकंड हैंड कार आई-20 CG 10 W 7400 को खरीदना तथा बचे हुए रकम में कुछ रकम को मामले में सहयोगी अन्य साथी को दे दिया। इन रुपयों से विवो कंपनी का नया मोबाइल भी खरीदा।
पुलिस ने इस घटना में प्रयुक्त वन प्लस एवम अन्य फोन को तथा ठगी रकम से खरीदी गई कार आई-20 क्रमांक CG 10 W 7400 को जब्त किया गया है। आरोपी के बैंक खाता में बचत रकम 83,000 रुपए को सीज कराया गया है, आरोपी से 04 लाख का कार, 03 नग मोबाईल फोन, तथा खाता में बचत रकम 83000 कुल 5,03,000 रुपये का मशरुका जप्त किया गया है। पूछताछ पर उनके अन्य 08 सहयोगियों के नाम का भी खुलाशा हुआ है जिनका एसपी अंकिता शर्मा के निर्देशन में अलग-अलग टीम बनाकर गिरफ्तारी हेतु रवाना किया गया है। आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया। आरोपी अभ्यस्त एवं शातिर प्रवृत्ति का है, जिसके विरुध्द रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर 7,50,000 रुपये की ठगी करने का थाना तोरखा जिला बिलासपुर में भी धोखाधड़ी का अपराध पंजीबध्द है इसके अलावा आरोपी द्वारा अलग-अलग जगहों में अनेकों व्यक्ति से अलग-अलग विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर धोखाधड़ी किया गया है।