भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। मुफ्त की रेवडिय़ा छत्तीसगढ़ पर भारी पडऩे लगी है। चुनावी वायदों को पूरा करने के फेर में छत्तीसगढ़ पर हर महीने 500 करोड़ का ब्याज भार पड़ रहा है। वहीं, नई सरकार के गठन के बाद चुनावी वायदों को पूरा करना छत्तीसगढ़ को और ज्यादा कर्जदार बनाने जा रहा है। मतदाताओं को रिझाने के लिए इस चुनाव में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने दिल खोलकर घोषणाएं की है। जाहिर है कि किसी भी दल की सरकार आने पर इन घोषणाओं को पूरा करना होगा और इससे सैकड़ों करोड़ रूपयों का अतिरिक्त भार भी पड़ेगा।
चुनाव के वक्त राजनीतिक दल बड़े-बड़े वादे पूरा करने से बाज नहीं आते। कर्जमाफी और मुफ्त की योजनाएं जनता को रिझाने का एक बड़ा तरीका बन रही हैं। हालांकि राज्य के की कमाई में ज्यादा वृद्धि दिखाई नहीं देती। ऐसे में राज्य कर्ज तले दबते चले जा रहा है। छत्तीसगढ़ की ही बात करें तो चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बड़े-बड़े वादे किए हैं। कांग्रेस ने कर्जमाफी, महिलाओं को हर साल 15 हजार की मदद, गैस सिलिंडर पर सब्सिडी, भूमिहीन मजदूरों को 10 हजार रुपये, पराली और तेंदू पत्ते की खरीद, ओपीएस जैसे तमाम लोक लुभावन वादे किए हैं। वहीं बात करें कर्ज की तो राज्य पर कुल 89 हजार करोड़ रुपये बकाया है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य को हर साल करीब 6 हजार करोड़ रुपये का ब्याज ही चुकाना पड़ता है। अगर ये योजनाएं लागू हुईं तो राज्य का कर्ज और तेजी से बढ़ेगा।

साल में 40 हजार करोड़ का बढ़ जाएगा बोझ
अगर कांग्रेस अपने सभी वादे पूरा करती है तो कम से कम साल का 40 हजार करोड़ रुपये खर्च होगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ का सालाना बजट करीब 1 लाख करोड़ का होता है। इस हिसाब से बजट में 40 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के वादों के बारे में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारा जीएसडीपी पर कर्ज का रेशिया 16 फीसदी से नीचे ही है जो कि 25 फीसदी के बेंचमार्क से कम है। ऐसे में हम कर्ज पर ब्याज अदा करने में सक्षम हैं।

पुरानी पेंशन स्कीम और कर्जमाफी बढ़ाएगी बड़ा बोझ
कांग्रेस सरकार ने वापसी पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा किया है। हालांकि इस योजना से राज्य पर भारी बोझ पडऩे वाला है। इसमें रह साल करीब 22 हजार करोड़ रुपये खर्च होगा। वहीं कांग्रेस सरकार का कहना है कि अगले 50 साल इससे कोई समस्या नहीं होने वाली है। 2070 के बाद ही इससे बोझ पड़ेगा। किसानों की कर्जमाफी भी कांग्रेस के वादों में शामिल रहती है। 2019 में 19 लाख किसानों का कर्ज माफ करने में 9500 करोड़ रुपए का खर्च आया था। वहीं अब रजिस्टर्ड किसानों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। अगर 3.55 लाख भूमिहीन मजदूरों को हर साल 10 हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा तो इसमें 355 करोड़ रुपये प्रति साल का खर्च आएगा।
पराली खरीद पर 8700 करोड़ होंगे खर्च
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कर्जमाफ किया जाएगा तो 250 करोड़ रुपये लगेंगे। इसके अलावा अन्य कर्जमाफी में भी 726 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है. चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि पहली कैबिनेट बैठक के दौरान ही किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किसानों पर 23 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। पराली के लिए भी किसानों को अच्छी कीमते मिलेंगी। कांग्रेस का वादा है किसानों से 20 क्लिंटल तक पराली की खरीद एमएसपी पर की जाएगी। इस साल की बात करें तो पराली खरीद में 8700 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
महिला योजना पर 15,385 करोड़
वहीं महिलाओं को हर साल 15 हजार रुपये देने में 15385 करोड़ रुपये हर साल खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा भी कांग्रेस ने कई वादे किए हैं। इसमें 200 यूनिट तक फ्री बिजली, किसानों को फ्री बिजली, केजी से पीजी तक फ्री एजुकेशन, तेंदू पत्ते पर बोनस आदि शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में 12.94 लाख परिवार तेंदू पत्ते इक_ा करते हैं। इस हिसाब से इन पर 517 करोड़ रुपये हर साल खर्च होंगे। वहीं बोनस के भी 776 करोड़ रुपये देने होंगे। इसके अलावा गरीबों के मुफ्त इलाज पर भी बड़ी रकम खर्च होगी।