भिलाई। ओबीसी बाहुल्य दुर्ग जिले में भाजपा ने बड़ा दाँव चला है। यहां 6 में से सिर्फ 1 सीट पर सामान्य प्रत्याशी उतारा गया है, जबकि 4 सीटों पर ओबीसी प्रत्याशी को टिकट देकर इस वर्ग के वोट कबाडऩे की रणनीति बनाई की गई है। जिले की एक सीट एससी आरक्षित है। भाजपा की दूसरी सूची जारी होने के बाद जिले की सभी सीटों पर पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। इन सीटों पर प्रत्याशी सामने आने के बाद जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में जरूर नाराजगी है, लेकिन इसे पार्टी का बेहद सधा हुआ और भविष्य को ध्यान में रखकर बनाया गया प्लान माना जा सकता है। हालांकि आधी आबादी यानी महिलाओं को टिकट न देने का गलत मैसेज भी गया है, क्योंकि भाजपा ने महिला आरक्षण बिल पारित करवाने के बाद इसका श्रेय लेने की भी जमकर कोशिश की थी।
दुर्ग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 72 फीसद आबादी पिछड़ा वर्ग की है। वहीं शहरी क्षेत्रों में 40 से 42 फीसद पिछड़ा वर्ग के लोग निवास करते हैं। संभवत: इतनी बड़ी आबादी को ध्यान में रखकर ही भाजपा ने जातीय व सामाजिक गुणा-गणित लगाया है। हालांकि भाजपा प्रत्याशियों को लेकर खुद उनकी पार्टी के कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं। कांग्रेस ने अब तक अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि जिले की अधिकतर सीटों पर उसके प्रत्याशी तय हैं। पाटन से भाजपा ने सांसद विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया है। यहां से कांग्रेस से सीएम भूपेश बघेल चुनाव लड़ेंगे। दुर्ग शहर सीट से भाजपा ने गजेन्द्र यादव पर दांव चला है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता व विधायक अरुण वोरा का चुनाव लडऩा सौ फीसद तय है। इसी तरह दुर्ग ग्रामीण सीट से भाजपा ने ललित चंद्राकर को उम्मीदवार घोषित किया है। इस सीट पर उन्हें पार्टी के कद्दावर नेता गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का सामना करना होगा। इन 3 सीटों के अलावा भिलाई नगर से भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता प्रेमप्रकाश पाण्डेय का नाम पर मुहर लगाई है। यहां से वर्तमान में कांग्रेस के युवा देवेन्द्र यादव विधायक हैं। अहिवारा, जिले की इकलौती एससी आरक्षित सीट है। यहां से भाजपा ने डोमनलाल कोर्सेवाड़ा को प्रत्याशी बनाया है। यहां भी कांग्रेस के केबिनेट मंत्री रूद्र कुमार गुरू विधायक हैं। इस बार वे नवागढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए कांग्रेस को यहां से नया प्रत्याशी चुनना होगा। कांग्रेस की ओर से भिलाई-3 चरोदा नगर निगम के महापौर निर्मल साहू का नाम यहां प्रमुखता से लिया जा रहा है। इसी तरह वैशाली नगर सीट से भाजपा ने रिकेश सेन पर दाँव लगाया है। यहां भी कांग्रेस नया चेहरा दे सकती है। पार्टी यदि यहां से किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाती तो इंदरजीत सिंह छोटू का नाम लगभग तय बताया जा रहा है।
भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक को ध्यान में रखें तो पाटन, दुर्ग शहर व दुर्ग ग्रामीण में कांग्रेस के लिए अच्छी संभावनाएं हैं। बावजूद इसके कि इन तीनों सीटों पर भाजपा ने ओबीसी प्रत्याशी दिए हैं। पाटन में भूपेश बघेल स्वयं ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं दुर्ग ग्रामीण में ताम्रध्वज साहू भी इसी वर्ग से हैं। दुर्ग में जरूर अरुण वोरा सामान्य वर्ग से हैं। लेकिन यहां यह देखना भी जरूरी है कि वोरा परिवार का दुर्ग शहर की राजनीति और वहां के मतदाताओं में खासा जनाधार है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो यहां आधा दशक से ज्यादा वक्त से वोरा परिवार राजनीति कर रहा है और जीत भी रहा है। वैसे भी खुद भाजपा के लोग गजेन्द्र यादव को कमतर आंक रहे हैं।

बाकी बची 3 सीटों पर स्थानीय लोगों को तगड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। अहिवारा क्षेत्र का ओबीसी प्रत्याशी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन यहां यह वर्ग निर्णायक जरूर रहता है। आमतौर पर पिछड़ा वर्ग का झुकाव सत्तापक्ष की ओर ज्यादा देखा गया है। इसलिए भाजपा को इस आरक्षित सीट पर काफी मेहनत करनी पड़ सकती है। भाजपा ने इकलौती भिलाई नगर सीट पर प्रेमप्रकाश पाण्डेय के रूप में सामान्य प्रत्याशी दिया है। भिलाई को मिनी भारत कहा जाता है और यहां सभी जाति-धर्म, सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं। इसलिए इस सीट पर ओबीसी वर्ग का प्रभाव कम रहता है। विगत चुनाव में कांग्रेस ने यहां से अपने महापौर देवेन्द्र यादव को टिकट दी थी। जो स्वयं ओबीसी हैं। कुछ पेचीदगियां यदि हल हो जाएं तो यहां देवेन्द्र यादव से फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। अन्यथा की स्थिति में पार्टी के लिए दिक्कत आ सकती है। वहीं वैशाली नगर क्षेत्र में भी ओबीसी वर्ग का काफी प्रभाव है। यह विधानसभा क्षेत्र अपेक्षाकृत पिछड़ा हुआ है। भाजपा ने यहां से युवा चेहरे के रूप में रिकेश सेन पर भरोसा जताया है। कांग्रेस से यहां कई नाम चलायमान है, इसलिए इस सीट पर कांग्रेस का चेहरा काफी मायने रखेगा। वैशाली नगर को भाजपा मानसिकता वाली सीट माना जाता है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के गणित का सफल होना पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।




