भिलाई। मोदीजी… अब आप छत्तीसगढ़ न आएं। अपनी ऊर्जा को इजराइल युद्ध में लगाएं, क्योंकि छत्तीसगढ़ में अब भाजपा नहीं आ सकती। यहां चाल, चरित्र और चेहरा कलंकित हो चुका है……।
संघ से लम्बे समय से जुड़े और भाजपा के जमीनी माने जाने वाले भिलाई के एक सीनियर कार्यकर्ता ने यह पोस्ट सोशल मीडिया पर की। दरअसल, कार्यकर्ताओं का यह दर्द तब छलका, जब भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की। भाजपाइयों का तो इस सूची को देखकर नाराजगी जाहिर करना समझ में आता है, लेकिन कांग्रेस के लोग भी गदगद है। चुनावी कवायद शुरू होने के बाद कांग्रेस ने अबकी बार 75 पार का नारा दिया था। न केवल कांग्रेस, अपितु भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी यह नारा सच होता दिख रहा है। वह भी तब, जबकि कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते भी नहीं खोले हैं। सोशल मीडिया में आई उक्त प्रतिक्रिया भी इसी का प्रतिफल है।

भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी होने के बाद जहां कांग्रेसियों की बाँछें खिली हुई है, वहीं भाजपाइयों में टिकट वितरण को लेकर खासा असंतोष देखने को मिल रहा है। पार्टी के नेताओं का साफ कहना है कि जिन उम्मीदवारों पर दाँव लगाया गया है, उनके भरोसे जीत हासिल करना कतई संभव नहीं है। अब तक पार्टी के कार्यकर्ता यह मानकर चल रहे थे कि 5 साल बाद सत्ता में वापसी करेंगे, लेकिन अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। इसकी सोशल मीडिया पर गम्भीर प्रक्रियाएं भी सामने आ रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिताऊ उम्मीदवारों की अनदेखी कर मनमर्जी से टिकट वितरण किया गया है। गौरतलब है कि इस बार के टिकट वितरण में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पसंद को तवज्जो दिए जाने की बातें कही जा रही है।

भाजपा के टिकट वितरण को जमीनी कार्यकर्ता हजम नहीं कर पा रहे हैं। अगस्त महीने में पार्टी ने 21 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। तब भी कार्यकर्ता सहज नहीं थे। इस बार कुल 64 प्रत्याशियों की सूची जारी की गई है, जिस पर जमीनी कार्यकर्ता खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि जिन चेहरों पर दाँव लगाया गया हैं, उनके जरिए सरकार बनाना संभव नहीं है। आरएसएस से लम्बे समय से जुड़े और भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता दीप चटर्जी ने तो सोशल प्लेटफार्म फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पर संक्षिप्त पत्र ही लिख डाला है। पेशे से चिकित्सक डॉ. दीप चटर्जी के इस पत्र में उनकी भावनाएं बिलकुल साफ तौर पर उजागर होती है। अपने पोस्ट में वे पीएम मोदी से कहते हैं,- क्षमा सहित आपसे विनम्र निवेदन है कि अब आप अपने छत्तीसगढ़ के चुनावी दौरों को 2024 तक स्थगित कर दें। क्योंकि आपका मन खराब होगा, थकान बढ़ेगी। पार्टी का पैसा नष्ट होगा। अब तो आप अपनी पूरी ऊर्जा इसराइल के युद्ध में त्राहि-त्राहि होती परिस्थितियों पर लगा दीजिए। छत्तीसगढ़ में अब भाजपा नहीं आ सकती। आप चाहें तो राजस्थान और मध्यप्रदेश पर ध्यान दे सकते हैं। वहां सम्भावना है। यहां तो आपको अंधेरे में रखा गया है। यहां चाल, चरित्र और चेहरा कलंकित हो चुका है।
अपनी पोस्ट में दीप चटर्जी आगे कहते हैं,- मेरे समान कई सच्चे व अच्छे कार्यकर्ता 2024 में आपको विजयश्री दिलाते हुए भारत की महिमा बढ़ाएंगे। कृपया छत्तीसगढ़ न आएं। वंदेमातरम्। सोशल मीडिया में की गई इस पोस्ट को भाजपा के आम कार्यकर्ताओं का दर्द माना जा सकता है। डॉ. चटर्जी ने 2018 के चुनाव में पहली बार वैशाली नगर क्षेत्र से टिकट की दावेदारी की थी। वे इस बार भी दावेदार थे। पार्टी ने संकेत दिया था कि संघ पृष्ठभूमि वालों को इस बार टिकट में वरीयता दी जाएगी। संभवत: डॉ. चटर्जी इसी के चलते आशान्वित भी थे। लेकिन उनकी उम्मीदों पर तुषारापात हो गया। दूसरी सूची जारी के बाद कार्यकर्ता उद्वेलित हैं। लेकिन पार्टी का अनुशासन उन्हें चुप रहने को मजबूर कर रहा है। लेकिन इन हालातों ने पार्टी के लिए गम्भीर खतरे जरूर पैदा कर दिए हैं। कार्यकर्ताओं का नाराज होना कतई शुभ नहीं माना जा सकता। नए और युवा चेहरों के नाम पर भाजपा ने जो दाँव खेला है, उसके उल्टा पडऩे का संभावनाएं बढ़ गई है। कार्यकर्ताओं का घर बैठना, भीतरघात या खुलाघात करना जैसे खतरे अपनी जगह बरकरार है।




