भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज)। भिलाई का राजनीतिक माहौल परिवर्तन का रहा है। यहां हर बार विधानसभा चुनाव के नतीजे बदलते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार भी पिछले नतीजे बदलने का रिकार्ड कायम रहेगा? दरअसल, भिलाई विधानसभा क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यहां प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस व भाजपा परस्पर नतीजे बदलते रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से अब तक का रिकार्ड बताता है कि यहां कांग्रेस के बीडी कुरैशी और भाजपा के प्रेमप्रकाश पाण्डेय के मध्य मुकाबला होता रहा है, जिसमें एक बार भाजपा तो अगली बार कांग्रेस जीतती रही है। विगत 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से अपना प्रत्याशी बदल दिया था। इस चुनाव में कांग्रेस के युवा नेता देवेन्द्र यादव ने जीत हासिल की थी। नतीजतन भाजपा इस बार जीत की उम्मीद कर रही है। हालांकि भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों ने अब तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, लेकिन भाजपा से पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय की टिकट तय मानी जा रही है। वहीं सिटिंग विधायक होने के नाते कांग्रेस से देवेन्द्र यादव का टिकट भी फायनल है।
मिनी इंडिया के नाम से चर्चित भिलाई नगर क्षेत्र पर सदैव शीर्षस्थ नेताओं की नजर रही है। विगत 25 वर्षों का इतिहास देखें तो यहां से कांग्रेस अल्पसंख्यक कोटे से बदरूद्दीन कुरैशी को टिकट देती रही। राज्य निर्माण के बाद 2003 में यहां पहला चुनाव हुआ था। इस चुनाव में प्रदेश में पहली बार डॉ. रमन सिंह की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनी। इस समय भिलाई नगर सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने कांग्रेस के बदरूद्दीन कुरैशी को 15,000 से ज्यादा मतों से पराजित किया था। इस जीत के बाद श्री पाण्डेय छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए। हालांकि वे इसके अगले चुनाव में अपनी जीत के सिलसिले को कायम नहीं रख पाए। 2008 में एक बार फिर दोनों परंपरागत प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने थे। इस बार कांग्रेस के बीडी कुरैशी ने भाजपा के प्रेमप्रकाश पाण्डेय को 8,000 से ज्यादा मतों से हराया। 2013 में एक बार फिर प्रेमप्रकाश पाण्डेय 17,000 से ज्यादा मतों से विजयी हुए। इस बार चुनाव जीतने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री बनाया गया। लेकिन यह विडंबना ही रही कि विधानसभाध्यक्ष और केबिनेट मंत्री जैसे अहम् पदों पर रहने के बाद भी वे अगला चुनाव हारते रहे। 2018 में पहली बार कांग्रेस ने युवा नेता के रूप में देवेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया। इस समय देवेन्द्र भिलाई नगर के महापौर थे। भाजपा ने एक बार फिर अपने कद्दावर नेता प्रेमप्रकाश पाण्डेय पर दाँव लगाया, लेकिन भाजपा का दाँव एक बार फिर फेल हो गया। हर बार नतीजे बदलने वाले इस विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर पलटी मार दी। इस बार कांग्रेस के देवेन्द्र यादव 2,000 से ज्यादा मतों से विजयी रहे। देवेन्द्र यादव को इस 51,044 वोट मिले थे, वहीं श्री पाण्डेय को 48,195 मत हासिल हुए थे।
भाजपा का आरोप,- कांग्रेस ने सिर्फ श्रेय लिया
चुनावी बिसात बिछाने में माहिर पूर्वमंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर दिया है। विभिन्न समाजों की बैठकें लेने से लेकर सोशल मीडिया में सक्रियता और परिवर्तन यात्रा के दौरान उनकी चुनाव तैयारियां देखने को मिलती है। इसके अलावा अंदरूनी तौर पर भी श्री पाण्डेय संगठन में कसावट लाने और कार्यकर्ताओं को चार्ज करने में कामयाब रहे हैं। श्री पाण्डेय का आरोप है कि कांग्रेस के लोग भाजपा कार्यकाल के दौरान के कार्यों के सिर्फ फीते काट रहे हैं। उनके मुताबिक, कांग्रेस के लोग श्रेय लेने में माहिर है और ऐसे कार्यों का भी श्रेय लेने से पीछे नहीं है, जो भाजपा के कार्यकाल में कराए गए। मसलन केनाल रोड और श्रीराम चौंक स्थित मैदान का जीर्णोद्धार स्वयं उनकी (श्री पाण्डेय) अगुवाई में हुआ था, लेकिन सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने इन कार्यों को अपना बनाया। बालाजी नगर स्थित जिस स्कूल को आत्मानंद स्कूल बनाया गया है, उसका जीर्णोद्धार श्री भाजपा शासनकाल के दौरान श्री पाण्डेय ने कराया था। इस हिंदी माध्यम स्कूल को तब अंग्रेजी माध्यम में बदला गया था। इसके अलावा उच्च शिक्षा के मद्देनजर खुर्सीपार क्षेत्र में शासकीय नवीन महाविद्यालय की स्थापना भी भाजपा शासन के दौरान की गई थी, जिसे आज कांग्रेस के लोग अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। भाजपा के कार्यों पर मेड इन कांग्रेस का सिर्फ ठप्पा लगाया जा रहा है।

हॉफ बिजली बिल व लीज नवीनीकरण पर उठाए सवाल
जिन कार्यों का कांग्रेस श्रेय लेने की फिराक में रही है, उनके पीछे की सच्चाई बताने में भी पूर्वमंत्री श्री पाण्डेय पीछे नहीं रहे हैं। एक जागरूक जनप्रतिनिधि के रूप में वे नागरिकों को यह बताते रहे हैं कि जिन कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर और महिमामंडित कर प्रस्तुत किया जा रहा है, उसके पीछे की वास्तविकता क्या है? कांग्रेस ने जब ऐलान किया कि अब टाउनशिप वासियों को भी हॉफ बिजली बिल योजना का लाभ मिलेगा, तब श्री पाण्डेय ने ही नागरिकों से संवाद कर तथ्यात्मक पहलू सामने रखे। इसी तरह जब संयंत्र आवासों की रजिस्ट्री को लेकर जोर-शोर से प्रचार शुरू किया गया, तब भी श्री पाण्डेय ही सामने आए कि संयंत्र आवासों का मालिकाना हक मिलना संभव नहीं है और जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ लीज का नवीनीकरण है। श्री पाण्डेय ने अपने विधायकी और मंत्री कार्यकाल के दौरान बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों को पूरी प्राथमिकता से कराया था। वे आज भी इन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। सर्वविदित है कि जिस आईआईटी की स्थापना भिलाई में होने जा रही है, उसे रायपुर में स्थानांतरित करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। तब श्री पाण्डेय ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक खूब प्रयास कर आईआईटी की स्थापना भिलाई में ही करवाने रात-दिन एक कर दिया था। इसी तरह भिलाई की बहुसंख्य जनता को गर्मियों के मौसम में पानी के लिए त्राहि-त्राहि करते देख श्री पाण्डेय ने शिवनाथ नदी से पानी लाकर भिलाई की प्यास बुझाने का बीड़ा उठाया था। उन्हीं के भागीरथ प्रयासों से लोगों को घर-घर पानी मिलना मयस्सर हो पाया। इसी के बाद उन्हें भिलाई की जनता ने पानी वाले बाबा की उपाधि दी थी।
डेढ़ लाख मतदाता करेंगे फैसला
विधानसभा चुनाव को अब महज गिनती के दिन रह गए हैं। क्षेत्र में कुल करीब डेढ़ लाख मतदाता हैं। इनमें 76 हजार 484 पुरूष व 72 हजार 498 महिला मतदाता हैं। छत्तीसगढ़ का यह संभवत: ऐसा इकलौता विधानसभा क्षेत्र है, जहां सभी समाज के लोग शांतिपूर्ण निवास करते हैं। यहां टाउनशिप के मतदाता ही आमतौर पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं। दोनों ही दलों का मुख्य फोकस भी विभिन्न प्रांतों के मतदाताओं और श्रमिक संगठनों पर रहता है। वर्तमान में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही सामाजिक लामबंदी में जुटे हुए हैं। भिलाई को मिनी इंडिया कहा जाता है। यहां हर प्रांत, संप्रदाय, धर्म व जाति के लोग रहते हैं। माना जाता है कि इन्हीं मतदाताओं के बीच से ही जीत निकलकर आती है। मुद्दों की बात करें तो कांग्रेस यहां अपने पंचवर्षीय कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है, वहीं भाजपा अपने कार्यकाल में कराए गए कार्यों और वर्तमान विधायक की श्रेय लेने की नीति को मुद्दा बना रही है। 2018 के पहले तक भिलाई नगर सीट को हाई प्रोफाइल सीट माना जाता था, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सत्ता में दुर्ग जिले को अत्यधिक महत्व मिलने से अब जिले की पाटन, दुर्ग ग्रामीण व अहिवारा जैसी सीटों को हाई प्रोफाइल कहा जाता है।