-दीपक रंजन दास
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पिछले कुछ दिनों से लगातार यह आरोप लगा रही है कि प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार घोटालों की सरकार है. इससे पहले भाजपा के केन्द्रीय नेता छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का एटीएम बताते रहे हैं. अब जाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन आरोपों का सीधा जवाब दिया है. मुख्यमंत्री ने बताया है कि छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में, जहां उनकी सरकार का यह पहला कार्यकाल है, सरकार ने 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपए सीधे जनता की जेबों में डाले हैं. यह है “ग्रास-रूट डेवलपमेंट” का वह फार्मूला जिसके बारे में अब तक देश के नेता सिर्फ सपना ही देखते रहे हैं. ऐसा सपना देखने वालों में सभी प्रकार की सरकारें शामिल रही हैं. अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी स्वीकार किया था कि केन्द्र से भेजा गया एक रुपया, हितग्राही तक पहुंचते पहुंचते 5 पैसा हो जाता है. छत्तीसगढ़ ने अंततः वह फार्मूला ढूंढ ही लिया है जिससे पैसा सीधे किसानों और संग्राहकों की जेब में जाता है. वहां से लौटकर बाजार में आता है. पहले जहां केवल धान और तेंदूपत्ता का ही पैसा किसान या संग्राहक को मिलता था वहीं अब यह फेहरिस्त बहुत लंबी हो चुकी है. यही नहीं पहले जहां किसान सिर्फ धान बेचता था अब वही किसान गोबर और गोमूत्र भी बेच पा रहा है. दरअसल, यही वह सोच है जिसके बलबूते छत्तीसगढ़ की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है. आज का छत्तीसगढ़ वह छत्तीसगढ़ नहीं है जिसे गरीब और छोटा सा राज्य समझा जाता था. आज का छत्तीसगढ़ समूचे देश को विकास का नया फार्मूला दे रहा है. यहां विकास का मतलब केवल सड़क और पुल पुलिया नहीं है बल्कि अंतिम व्यक्ति के खाते तक सीधे पहुंचता पैसा है. भूपेश सरकार ने इसके लिए जितने रास्ते तलाश किये, उतने का कभी किसीने सपना तक नहीं देखा था. जिस कोदो-कुटकी-रागी को देखकर कभी लोग नाक-भौं सिकोड़ते थे, आज वही कोदो-कुटकी-रागी न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर आज छत्तीसगढ़ मिलेट्स राज्य भी है. केन्द्र की मिलेट्स योजना को भी छत्तीसगढ़ ने ही परवान चढ़ाया. यही कारण है कि देश के मुखिया नरेन्द्र मोदी तक भूपेश बघेल के फैन हैं. इसके साथ ही कांग्रेस में भी नए प्राणों का संचार हुआ है. हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल की ही चर्चा होती रही. कांग्रेस अब देशभर में इसी मॉडल को सामने रखकर आगे बढ़ेगी. कहा जा सकता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस में भी अब छत्तीसगढ़ केन्द्रीय भूमिका में हैं. जिस तरह छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता बस्तर और सरगुजा से होकर जाता है, उसी तरह अब कांग्रेस की सफलता का ग्राफ भी छत्तीसगढ़ से होकर जा रहा है. इस सफलता के पीछे उस स्लोगन का भी हाथ है जिसे देश-विदेश के लोगों ने दोहराया है. वह नारा है – “छत्तीसगढ़िया – सबले बढ़िया” का.