-दीपक रंजन दास
प्रेम की परिभाषा बदल गई है। अब सिर्फ अफेयर और ब्रेकअप होते हैं। प्रेम आयु, रिश्ता और उम्र नहीं देखता। यह किसी से भी हो सकता है। बस्तर के लोग जंगल, जलस्रोत और प्रकृति के अन्य तत्वों से प्रेम करते हैं। उनकी सुरक्षा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। बस्तर के जंगलों में सागौन के चार वृक्ष हैं। इन पेड़ों को लोगों ने राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का नाम दिया है। इन पेड़ों की उम्र 500 साल से भी अधिक बताई जाती है। आदिवासी बताते हैं कि उनके पड़दादा के पड़दादा के भी पड़दादा ने इन पेड़ों को काटने की कोशिश की थी। विघ्न आ जाने के कारण उन्होंने पेड़ों को उस समय नहीं काटा। फिर यह मान लिया कि प्रकृति देवी स्वयं इन पेड़ों की सुरक्षा चाहती हैं। उन्होंने इसे प्रकृति का निर्देश मानकर स्वीकार कर लिया। उन्होंने पेड़ों को उनका स्पेस दे दिया और ये पेड़ आज 500 साल बाद भी सिर उठाए खड़े हैं। इन पेड़ों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मीरा ने भी प्रेम किया था और राधा ने भी। निश्छल, निष्काम प्रेम के प्रतीक के रूप में मीरा और राधा को इतिहास ने याद रखा है। प्रेम अपने प्रिय व्यक्ति के सुख की कामना करता है, उसके लिए दुआ मांगता है। प्रेम पर्सनल स्पेस का सम्मान करता है। प्रेम में व्यापार नहीं होता। प्रेम में कोई प्रतियोगिता भी नहीं होती। प्रेम का कॉपीराइट और पेटेंट नहीं होता। एक ही व्यक्ति से एक, दो या असंख्य लोग प्रेम कर सकते हैं। इसके उलट अफेयर आसक्ति का दूसरा नाम है। इसमें प्राप्त करने की होड़ होती है। प्रभु श्रीराम ने प्रेम किया और रावण आसक्ति के प्रतीक थे। आसक्ति से अफेयर होते हैं। इसमें समर्पण अथवा त्याग की भावना नहीं होती। इसमें प्रिय व्यक्ति या वस्तु को प्राप्त करने की जिद होती है। उसे किसी भी कीमत पर हासिल करने की जिद होती है। मेरी नहीं तो किसी की भी नहीं वाली भावना होती है। इसी भावना के वशीभूत होकर लोग उसी को मौत के घाट उतार देते हैं, जिससे वे प्रेम का वो दावा करते हैं। कोई चाकू मार देता है, कोई तेजाब छिड़क देता है तो कोई मारकर टुकड़े-टुकड़े कर देता है। लोग छोटे-छोटे बच्चों से भी पूछ बैठते हैं कि वह पापा का बेटा है या मम्मी का? यह क्या सवाल हुआ? छत्तीसगढ़ की बेटी और प्रथम अग्निवीर हिशा बघेल से उसका पूरा परिवार प्यार करता है। वह आईएनएस चिल्का पर आयोजित महिला अग्निवीरों के पहले बैच में शामिल थी। वह अग्निवीर बने यह उसका और उसके पिता का साझा सपना था। वह अपना प्रशिक्षण पूरा करे इससे पहले ही पिता की मौत हो गई। घर वालों ने बड़ी मुश्किल से यह बात उससे छिपाई। वो चाहते थे कि पिता तो नहीं रहे पर उनका सपना जरूर पूरा हो। यही सच्चा प्रेम है।