क्या आप दोपहर के समय खुद को थका या आलस से भरा हुआ महसूस करते हैं, खासकर दोपहर का भोजन करने के बाद? अगर हां तो इसके कई कारण हो सकते हैं। दिन के दौरान सोने की आवश्यकता महसूस करने से ऊर्जा में कमी आती है और इससे काम पर ध्यान केंद्रित करने में भी मुश्किल होने लगती है। आइए आज हम आपको पांच ऐसे तरीके बताते हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
नाश्ते को न करें नजरअंदाज
अपने सुबह के नाश्ते को छोड़ देने का मतलब है कि आप उन महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को खो रहे हैं जो एकाग्रता और प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं जब आप नाश्ता छोड़ते हैं तो आप दोपहर में ज्यादा खा लेते हैं। नतीजतन आप खुद को सुस्त महसूस कर सकते हैं। इससे बचे रहने के लिए सुबह के नाश्ते में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें ताकि आप पूरे दिन अधिक सक्रिय और ऊर्जावान बने रहें।
ज्यादा पानी का करें सेवन
जब आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो इसके कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे आप सुस्त महसूस कर सकते हैं। इसलिए पूरा दिन भरपूर पानी पीएं और अपने शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए बिना चीनी वाला फलों के जूस का भी सेवन करें। इससे आप तरोताजा महसूस करेंगे। इसके अतिरिक्त, यह आपके ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है।
काम के बीच में लें थोड़ा ब्रेक
दोपहर के समय जब आप काम कर रहे होते हैं तो थकान महसूस होना आम बात है। यह आपके दिमाग और शरीर को ब्रेक लेने का संकेत देता है। ऐसे में कुछ मिनट आराम करें। इससे आपको अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और जब आप काम पर लौटते हैं तो ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। ब्रेक आपके तनाव के स्तर को कम करने और आपके कामकाज में सुधार करने में भी मदद कर सकते हैं।
धूप में बिताएं थोड़ा समय
धूप में टहलने या बैठने से शरीर को यह संदेश मिलता है कि यह सोने का समय नहीं है। यह तरीका आपके शरीर के आलस को दूर करके ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है। सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन- डी का उत्पादन भी बढ़ता है, जो स्वस्थ हड्डियों और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है।
नींद का बनाएं पैटर्न
पर्याप्त नींद नहीं लेने से शरीर के सभी चक्र प्रभावित होते हैं, जिसके कारण किसी भी समय नींद आना स्वाभाविक है। दोपहर में नींद से बचने के लिए रोजाना रात को छह से सात घंटे की नींद लें। इसके अतिरिक्त, समय पर सोने और जल्दी उठने का भी नियम बना लें ताकि शरीर इस चीज का आदि हो जाए कि कब सोना है और कब नहीं।