-दीपक रंजन दास
स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने स्कूल स्तर पर मूल्यांकन के बाद प्रश्नोत्तर कॉपी विद्यार्थियों को अनिवार्यत: लौटाने के निर्देश दिए हैं. इसका फायदा यह होगा कि बच्चों की कापी उनके माता-पिता या अभिभावक भी देख सकेंगे. अब तक होता यही था कि विद्यार्थी घर पर कहता था कि उसने तो काफी लिखा था पर पता नहीं गुरुजी ने नम्बर क्यों काट दिये. अब इस दौर में बच्चों को मार-पीट का खौफ तो है नहीं. इसलिए न तो उसके फेल होने पर टीचर उसे कुछ कहता था और न ही माता-पिता उसे पीटते थे. दोनों का काम ताने देने तक सीमित था. बच्चा संवेदनशील हो तो नम्बर आने पर खुद ही गुमसुम हो जाता था और ढीठ टाइप के बच्चे कह देते थे कि सभी का नंबर कम आया है. वैसे शिक्षा विभाग ने कहा है कि जांची गई उत्तर पुस्तिका मिलने से विद्यार्थी भविष्य में विषय की अतिरिक्त तैयारी कर सकेंगे. कुछ बच्चों को निश्चित तौर पर इसका लाभ भी मिलेगा. वे अपनी गलतियों को पहचान कर उसमें सुधार कर पाएंगे. पर शिक्षा विभाग के इस आदेश से गुरुजियों में खौफ है. अब तक गुरुजी गणित, विज्ञान और वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को तो ईमानदारी से जांचते थे पर शेष उत्तरों पर अपने मन से अंक डालते चले जाते थे. इसमें कभी कभार ऐसा भी हो जाता था कि जिसने अच्छा लिखा है उसे 5 में 4 दे दिया और जिसने थोड़ा खराब लिखा उसे भी 4 दे दिया. अब अगर पड़ोसियों के दो बच्चों की कापी में ऐसा दिखा तो टीचर की खैर नहीं. जवाब देते-देते उसे छठी का दूध याद आ जाएगा. बच्चों के पेरेन्ट्स, विशेषकर मम्मियां बच्चों के अंकों को लेकर काफी संवेदनशील होती हैं. उन्हें यह सख्त नागवार गुजरता है कि किसी का बोदा बच्चा उनके होनहार पुत्र से ज्यादा अंक प्राप्त ले. अब जब कापी हाथ में होगी तो वह दोनों का मिलान करेगी. चुन-चुन कर गुरुजी की उन गलतियों को निकालेगी जिसके कारण पड़ोसी के बच्चे का एक नम्बर ज्यादा आ गया है. पालकों की उपस्थिति में प्रधानपाठक भी चार बातें सुना ही देंगे तो सिर झुकाकर सुनने के अलावा वे कर ही क्या सकेंगे. अब तक परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांचना अधिकांश शिक्षकों के लिए केवल मानदेय का मामला हुआ करता था. दो-चार नम्बर इधर उधर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था. पर अब यह नहीं चलेगा. मुसीबत यह है कि कापियों को ईमानदारी से एक-एक शब्द पढ़कर जांचने में वक्त ज्यादा लगता है. जिन कापियों को अभी वे सप्ताह भर में निपटा दिया करते थे, अब उन्हें जांचने में 10-15 दिन लग सकते हैं. इससे परीक्षा परिणाम जारी करने में वक्त लग सकता है. ऐसा हुआ तो शिक्षकों पर एक बार फिर डंडा चलेगा. बेचारे मूल्यांकनकर्ता शिक्षक बोल भी नहीं पाएंगे कि वे पहले कैसे कापी जांचते थे. पर आदेश है तो पालन तो करना ही पड़ेगा.