नई दिल्ली (एजेंसी)। राज्यसभा की खाली पड़ी 57 सीटों में से 16 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है। दरअसल, 41 सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों का निर्विरोध चुनाव हो चुका है। ऐसे में अब बची हुई सीटों पर ही चुनाव बाकी है। हालांकि, जहां लोकसभा में उम्मीदवारों को जनता द्वारा सीधे वोटिंग से चुना जाता है, वहीं राज्यसभा में नेताओं के चुनाव का तरीका थोड़ा हटकर होता है।
आपको बता दें कि आखिर राज्यसभा में चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या होती है? चुनाव में कौन वोट डालता है? इसके अलावा राज्यसभा में चुने जाने के लिए एक प्रत्याशी को कितने वोटों की जरूरत होती है? साथ ही मतदाता के लिए चुनाव आयोग ने किस तरह की गाइडलाइंस तय की हैं?
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव कौन करता है?
राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होता है। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव उस राज्य की विधानसभा के चुने हुए विधायक करते हैं, जिस राज्य से वह उम्मीदवार है।
चुनाव की प्रक्रिया कितनी अलग?
राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव से काफी अलग है, क्योंकि इस सदन के लिए मतदान सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं। चूंकि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। राज्यसभा चुनावों के नतीजों के लिए एक फॉर्मूला भी तय किया गया है।
विधायक कैसे करते हैं वोटिंग?
राज्यसभा चुनाव में विधायक सिर्फ उसी उम्मीदवार के लिए वोट डाल सकते हैं, जो उनके राज्य से खड़ा किया गया है। इतना ही नहीं इसमें भी विधायक सभी उम्मीदवारों को वोट नहीं दे सकते, बल्कि उन्हें प्राथमिकता के आधार पर चुन सकते हैं। वोटिंग के समय हर विधायक को एक सूची दी जाती है, जिसमें उसे राज्यसभा प्रत्याशियों के लिए अपनी पहली पसंद, दूसरी पसंद, तीसरी पसंद, आदि के आधार पर चयन करना होता है। इसके बाद एक तय मानक की मदद से तय किया जाता है कि कौन सा प्रत्याशी जीता।
इसे समझने के लिए राजस्थान का उदाहरण लिया जा सकता है। यहां विधायकों की कुल संख्या 200 है। हर एक सदस्य को राज्यसभा पहुंचने के लिए कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए इसके लिए एक तय फॉर्मूला है। यह फॉर्मूला यह है कि कुल विधायकों की संख्या को जितने राज्यसभा सदस्य चुने जाने हैं, उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है। इस बार यहां से चार राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है। इसमें 1 जोडऩे से यह संख्या 5 होती है। अब कुल सदस्य 200 हैं तो उसे 5 से विभाजित करने पर 40 आता है। इसमें फिर 1 जोडऩे पर यह संख्या 41 हो जाती है। यानी राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को 41 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। इसी तरह हरियाणा में किसी उम्मीदवार को राज्यसभा जाने के लिए 31 विधायकों के प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी।
इसके अलावा वोट देने वाले प्रत्येक विधायक को यह भी बताना होता है कि उसकी पहली पसंद, दूसरी पसंद, आदि का उम्मीदवार कौन है। इससे वोट प्राथमिकता के आधार पर दिए जाते हैं। अगर उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वो वह जीत जाता है। अगर ऐसा नहीं होता या आगे के वोटों में बंटवारा दिखता है, तो दूसरी प्राथमिकता के वोटों के आधार पर राज्यसभा जाने वाले उम्मीदवार का चयन होता है।
वोटिंग का तरीका क्या होता है?
राज्यसभा उम्मीदवार को चुनने के लिए ओपन बैलट सिस्टम का इस्तेमाल होता है। यानी विधायक जिस भी प्रत्याशी के पक्ष में वोट करते हैं, उसकी जानकारी उनकी पार्टी तक पहुंच जाती है। अलग-अलग पार्टियां अपने सदस्यों की वोटिंग प्राथमकिता का पता लगाने के लिए मतदान केंद्र में एजेंट भी तैनात करते हैं। इस ओपन बैलट सिस्टम को क्रॉस पार्टी वोटिंग रोकने के लिए ही लागू किया गया है। केवल निर्दलीय पर यह नियम लागू नहीं होता है, लेकिन जितने विधायक किसी पार्टी से जुड़े हैं, उन पर यह नियम लागू होता है। ऐसा नहीं करने वाले विधायकों का वोट रद्द हो जाता है। इतना ही नहीं राज्यसभा चुनाव के लिए विधायकों के पास नोटा का विकल्प भी मौजूद नहीं होता।
एक पेन इस्तेमाल करने का नियम
अगर कोई विधायक निर्धारित स्याही वाले पेन की जगह किसी अन्य पेन का इस्तेमाल करता है तो उसका वोट खारिज हो जाता है। राज्यसभा चुनाव में खास तरह के पेन का इस्तेमाल होता है, जो काला औ नीला न होकर बैंगनी रंग से लिखावट देता है। यह पेन चुनाव आयोग की तरफ से दिया जाता है। एक पेन का इस्तेमाल एक ही बार किया जाता है। पेन का इस्तेमाल करने के बाद उसको चुनाव अधिकारी को दिया जाता है। यह स्याही कर्नाटक के मैसूर में तैयार होती है, जो लंबे समय तक नहीं मिटती।
इससे जुड़ा एक वाकया साल 2016 के जून महीने में हरियाणा की विधानसभा में देखा जा चुका है। यहां राज्यसभा चुनावों में इसी स्याही के विवाद की वजह से कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गए थे। इन 14 विधायकों के मत पत्र पर चुनाव आयोग की दी गई पेन की जगह किसी और पेन की स्याही पाई गई थी। उस विवाद को ध्यान में रखते हुए इस बार हरियाणा में राज्यसभा चुनावों में सभी विधायकों को अलग-अलग पेन दिए जाएंगे। इससे इस बार फिर किसी तरह का विवाद न हो। समान्यतौर पर राज्यसभा चुनावों एक ही पेन का इस्तेमाल होता है।