-दीपक रंजन दास
सड़क हादसों में प्रति वर्ष हजारों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. इनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है. राज्य शासन ने एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस तैयार किया है. पिछले साल के शुरुआती चार महीनों में ही लगभग दो हजार लोगों की मौत इसमें दर्ज हुई. इनमें से 70 फीसद 20-35 साल के युवा थे. जनवरी से अप्रैल के बीच हुई 621 सड़क दुर्घटनाओं में 1986 लोगों की मौत हुई. 4322 लोग घायल भी हुए. सर्वाधिक 699 सड़क हादसे रायपुर में हुए जिसमें 207 लोगों की जानें गईं. राजनांदगांव, रायगढ़, दुर्ग, कोरबा, बलौदाबाजार, बिलासपुर तथा महासमुन्द में क्रमशः 118, 115, 113, 97, 96, 95 और 88 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई. सड़क हादसे में मरने का सबसे बड़ा कारण अब भी बेतहाशा स्पीड और सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करना है. कारों में एयर बैग लग रहें पर बाइक वाले हेलमेट तक नहीं लगाते. पुलिस स्कूल कालेजों में जाकर लोगों को हेलमेट लगाने के लिए प्रेरित कर रही है पर इसका भी कोई असर नहीं दिख रहा है. अब पुलिस को “स्पीड रडार गन” उपलब्ध कराया जा रहा है. इसमें वाहनों की वीडियो रिकार्डिंग करने, स्पीड के साथ पिक्चर फ्रीज करने की सुविधा होती है. इसी के आधार पर ओवर स्पीड ड्राइविंग करने वालों का चालान कट जाता है. वैसे यह मशीन पुलिस के पास पहले भी थी. उन दिनों इसका उपयोग रिंग रोड पर किया जाता था. मजे की बात यह है कि करोड़ों रुपए खर्च करने और दीर्घ प्रसव वेदना से गुजरने के बाद जिस फ्लाईओवर का निर्माण किया गया था, उसपर स्पीड लिमिट 40 रखी गई थी. कहीं तो इसका बोर्ड भी था पर वह दिखाई नहीं देता था. वैसे भी पांच गियर की गाड़ियों में स्पीड यदि 50 भी न हो तो नई गाड़ी का क्या मतलब? फ्लाईओवर का क्या मतलब? पुलिस मजे से हर दूसरी गाड़ी का चालान काटती थी. कुछ लोग 100-200 रुपए नगद भी दे जाते थे. दरअसल, हम भारत और इंडिया के बीच फंसे हुए हैं. इंडिया की औसत कारें फाइव+वन अर्थात सिक्स गियर की होती हैं. बाइक और स्कूटर भी 125 सीसी और इससे ज्यादा की होती है. जबकि भारत अभी भी 40 के स्पीड लिमिट में जी रहा है. अब भी हादसे होने पर भारत स्पीड ब्रेकर, रम्बलर, बैरिकेड्स की शरण में चला जाता है. लोग आखिर सड़कों पर चलना कब सीखेंगे? स्पीड लिमिट भी बेशक हो, पर वह आधुनिक वाहनों और सड़कों के हिसाब से हो. मनचले ड्राइवरों की गाड़ियां जब्त हों. कठोर अर्थदण्ड लगे. तेज रफ्तार या गलत ड्राइविंग से लोगों की जान जोखिम में डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो. ‘कान-कंधे’ में मोबाइल फंसाकर ‘पुष्पा’ पोज में कार-बाइक चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो तो ट्रैफिक सुधारने में मदद मिल सकती है. वैसे पुलिस अब बेहूदा ड्राइवरों के लाइसेंस निलंबित करवा रही है. उम्मीद करते हैं कि इसके अच्छे नतीजे आएंगे.
Gustakhi Maaf: करोड़ों की सड़क, लाखों की गाड़ियां और पिछली सदी का स्पीडलिमिट
