बिलासपुर। हाइकोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीडि़ता सीधे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होकर बयान दर्ज करा सकती है। मजिस्ट्रेट कानून के अनुसार बयान दर्ज करेगा। बेमेतरा की रहने वाली कचरा बीनने वाली एक महिला 16 अप्रैल 2022 को गायब हो गई थी। पति ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
बाद में उसका वीडियो वायरल हुआ तब पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन पुलिस ने पीडि़ता का बयान दर्ज नहीं किया। पीडि़ता ने पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से कई बार बयान दर्ज करने का निवेदन किया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बयान दर्ज कराने की मांग की। बताया कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। वह कचरा बिनने के लिए बेमेतरा नवागढ़ स्टेट बैंक के कैशियर चंद्रशेखर यादव के घर के पास पहुंची तो कैशियर ने स्प्रे कर उसे बेहोश कर दिया और दुष्कर्म किया। साथ ही वीडियो बनाकर इंटरनेट पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के कारण पता चला कि उसका अपहरण कर दुष्कर्म किया गया है। इस पर पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 67 और 67-ए दर्ज की गई थी।
बाद में पीडि़ता को कुछ खाली दस्तावेजों पर इसलिए हस्ताक्षर कराया गया कि इंटरनेट पर अपलोड वीडियो को हटा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
शासन की तरफ से कहा गया कि वीडियो वायरल होने पर सिर्फ आईटी एक्ट के तहत अपराध जोड़ा गया है, इसमें दुष्कर्म का मामला दर्ज ही नहीं कराया गया है, इसलिए 164 का बयान दर्ज करने का कोई आधार नहीं बनता है, इसलिए याचिका खारिज कर दी जाए। मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अगर पीडि़ता चाहे तो पुलिस विभाग और जांच अधिकारी को सूचना दिए बिना ही मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज करा सकती है। मजिस्ट्रेट पीडि़ता का बयान कानून के अनुसार दर्ज करेगा।