नई दिल्ली (एजेंसी)। महाराष्ट्र में पेट्रोल और डीजल सस्ता हो गया है। पेट्रोल की कीमतों में 5 रुपये जबकि डीजल की कीमत में 3 रुपये की कटौती की गई है। महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट में पेट्रोल और डीजल को सस्ता करने का फैसला लिया गया है। सरकार के इस फैसले से आम लोगों को फायदा होगा।
आपको बता दें कि प्रदेश में एकनाथ शिंदे की नई सरकार ने पहले ही पेट्रोल-डीजल के भाव करने इरादा जाहिर कर दिया था। अब सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगा दी है।
गौरतलब है कि केंद्र ने करीब डेढ़ महीने पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटायी थी। केंद्र ने पेट्रोल और डीजल से क्रमश: 8 रुपये और 6 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटा दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों को घटाने का फैसला किया था।
आपको बता दें कि फिलहाल गुरुवार (14 जुलाई) मुंबई में पेट्रोल के दाम 111.35 रुपये/लीटर हैं। लेकिन अब यह कम होकर 106.35 रुपये/लीटर हो जाएंगे। इसी तरह डीजल जो कि अभी मुंबई में 97.28 रुपये/लीटर है। अब से यह 94.28 रुपये/लीटर की रेट से मिलेगा।
महाराष्ट्र में पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें गुरुवार की मध्यरात्रि से लागू होंगी। कैबिनेट के इस फैसले से राज्य सरकार के खजाने पर छह हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘मंत्रालयÓ में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सरकार के इस फैसले से पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से परेशान आम जनता को राहत मिलेगी।
वहीं, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि यह फैसला शिवसेना-भाजपा सरकार की जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का हिस्सा है। सरकार के इस फैसले से खजाने पर 6,000 करोड़ रुपये का जो भार पड़ेगा उससे सरकार विकास के कार्यों पर कोई असर नहीं होगा।
इमरजेंसी में आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं को पेंशन फिर बहाल
शिंदे सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के साथ ही देवेंद्र फडणवीस सरकार की 2018 में लाई गई उस स्कीम को फिर बहाल कर दिया, जिसके तहत 1975 में इमरजेंसी के दौरान आंदोलन करने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पेंशन दी जानी थी। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने के ठीक बाद इस स्कीम को रद्द कर दिया था।
कार्यकर्ताओं को इस योजना के तहत 1975 से 1977 के दौरान चली इमरजेंसी में जेल में बिताई गई अवधि के आधार पर पांच हजार से दस हजार रुपये के बीच पेंशन मिलनी थी। यानी इमरजेंसी के दौरान अगर कोई व्यक्ति सिर्फ जेल भी गया होता तो उसे पांच हजार रुपये की पेंशन मिलती और तीन महीने या इससे ज्यादा जेल जाने वालों के लिए 10 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान किया गया।